When 2021 unravels with new expectations about travel, and you have probably explored your city’s streets the best you can, indulged into AI experiences of great virtual tours to museums and galleries around the world, and even managed to escape the city for a long-needed break exploring your backcountry, there is still so much more […] The post 9 Travel Tips from Digital Nomads and Long-term Travelers first appeared on CuddlyNest Travel Blog.
Crammed with rugged coastlines, densely lush forests, and sun-kissed beaches, Oceania is an immense destination where travelers can benefit from some of the most Instagrammable landscapes in the world. And while many instantly associate Oceania with New Zealand and Australia, the continent is sprinkled with some 10,000 paradisiac islands that are veritable pockets of untouched […] The post The Ultimate Oceania Travel Guide first appeared on CuddlyNest Travel Blog.
Barcelona’s Art Nouveau, culinary and cultural bona fides are one of the trademarks of the city now, but it wasn’t the case. Today, 8 out of 10 people go to Barcelona for its architecture, and 500 people a day spend more than half an hour looking at the buildings from the street. With so many […] The post Free Things to do in Barcelona first appeared on CuddlyNest Travel Blog.
घूमने के लिए पूरी दुनिया में बेस्ट है सैन फ्रांसिस्को, इन जगहों को देख आप भी ललचा जाएंगे
AdmiN Jan 23, 2021
सैन फ्रांसिस्को अपने लज़ीज खाने, गोल्डन गेट ब्रिज, पियर 39 और बहुत सारे प्रसिद्ध आकर्षणों के लिए जाना जाता है। यदि आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप अपनी इस यात्रा का पूरा-पूरा आनंद उठाएं, तो सैन फ्रांसिस्को के चाइनाटाउन में ज़रूर जाएं। सैन फ्रांसिस्को का चाइनाटाउन एक अनूठे सांस्कृतिक मेले जैसा है, जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे। उत्तरी अमेरिका में यह सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा चाइनाटाउन है। इस एक दिन की यात्रा के दौरान सैन फ्रांसिस्को के चाइनाटाउन के खाने, इतिहास, खरीदारी वगैरह का मज़ा लें। ड्रेगन्स गेटयह एक ऐतिहासिक द्वार की मेहराब है, जहां से शहर के नज़दीकी चाइनाटाउन में प्रवेश किया जा सकता है। 1970 में इसे पड़ोस के दक्षिणी प्रवेश के माध्यम के रूप में बनाया गया था। यह अनूठा ड्रेगन्स गेट पूरी तरह से चीनी शैली में बनाया गया थाः पत्थरों से, लकड़ी से नहीं। यह और गोल्डन ड्रेगन स्ट्रीटलाइट, दोनों ही आगंतुकों को ऊपर ग्रांट एवेन्यू की दुकानों तक ले जाते हैं। ग्रेट ईस्टर्न रेस्तरांयहां आपको लगभग हर जगह शू-माई की ठेलागाड़ी चलती मिलेंगी, जिनसे आपकी सांसें और यहां की गलियां स्वादिष्ट व्यंज
यात्रा वृतांत- शैलेंद्र तिवारी नेपाल का नाम जेहन में आते ही एक गुदगुदी सी होती है, लगता है कि कुछ अपना सा है, कुछ जाना-पहचाना सा है। जब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लगी सीमा पर सोनौली बॉर्डर पार करते हैं तो बिना पासपोर्ट और वीजा के विदेश जाने का भ्रम सा होता है, लेकिन सीमा पार करने के बाद भी अपना होने का अहसास बरकरार रहता है। एक ऐसा देश जिसे अगर झिलिमिलाते तारों का देश कहें तो कुछ गलत नहीं होगा। सांझ होते ही पहाड़ों पर बने घरों के भीतर बिजली के बल्व जब जल उठते हैं तो सड़क से गुजरते समय ऐसा लगता है कि जैसे आसमान के तारे इन पहाड़ों के ऊपर और नीचे खुद उतर आए हैं, अपनी झिलमिल रोशनी से इस देश की रौनक को बढ़ा रहे हैं। जब इस यात्रा पर निकला तो उम्मीद नहीं की थी कि यह शहर इतना खूबसूरत होगा, लेकिन जैसे ही सोनौली बॉर्डर से आगे बढ़ा तो आंखें खुली की खुली रह गईं। महज कुछ किलोमीटर पार करते ही सामने पहाड़ों की पूरी एक शृंखला नजर आ रही थी। हल्की सी चढ़ाई के साथ शुरू हुआ पोखरा की ओर जाने वाली सड़क का सफर। एक ओर आसमान को छूने की जिद करते पहाड़ तो दूसरी ओर पाताल में समा जाने का एहसास दिलाती गहराई। ह
गर्मी के मौसम में लोग शहर छोड़कर पहाड़ों की तरह रुख करते हैं, अगर आप भी पहाड़ों पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको पहाड़ों पर ड्राइविंग भी करनी होगी और इसके लिए आपको कुछ खास तैयारियां करनी होंगी क्योंकि समतल की अपेक्षा पहाड़ों पर ड्राइविंग ज्यादा मुश्किल होती है। आइए जानते हैं कि पहाड़ों पर ड्राइविंग करते वक्त आपको क्या सावधानियां बरतनी होंगी। 1. सबसे पहले कार की पूरी तरह जांच करवा लीजिए। इंजन व टायर पूरी तरह दुरुस्त होने चाहिए। इतना ही नहीं खासकर ब्रेक की जांच किसी विशेषज्ञ से करवाना सही होगा। अगर घिसे हुए टायर के साथ पहाड़ों की तरफ रुख किया तो संस्पेंशन की समस्या से घिर जाएंगे। २ कोशिश कीजिए कि जब पहाड़ी इलाके में यात्रा करें तो रात के वक्त ड्राइविंग न करें। दिन में ड्राइविंग करें जो सुरिक्षत और चिंता रहित होगा।3. कभी भी गियर को न्यूट्रल में न रखें। ईधन को बचाने के लिए इंजन को बंद रखें वरना इससे खतरा भी हो सकता है।4. शहरों की तरह ताबड़तोड़ गाड़ी न चलाएं। पहाड़ी रास्तों पर पीछे से आने वाली गाडि़यों को पास दें और संभल कर चलें।5. पहाड़ों में न दिखने वाले मोड़ आते हैं। ऐसा होने
भारत के रमणीय स्थलों में शुमार होने के साथ साथ केरल को ‘गाॅडस् ओन कंट्री’ के खिताब से भी नवाजा गया है। दक्षिण भारत की सैर करने का प्लान है तो यह लोगों के सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। दुनिया भर से बड़ी तादाद में लोग केरल जैसे खूबसूरत राज्य को देखने आते हैं। शांत समुद्र तट, सुहावना मौसम, हरे भरे हिल स्टेशन, दूर तक फैला समुद्र और आकर्षक वन्य जीवन इस धरती के आकर्षणों में से हैं। नेशनल ज्योग्राफिक ट्रेवलर मैगजीन के अनुसार केरल ‘दुनिया के टाॅप दस पैराडाइज़’ और ‘50 प्लेसेस आॅफ लाइफटाइम’ में से एक है। केरल की खासियत ये है कि यहां समुद्र के साथ साथ आपको वन्यजीवन का भी भरपूर नजारा दिखेगा। इसलिए साल भर यहां घूमने के लिए लोग आते रहते हैं। अगर आपको भी बैकवाटर का शौक है तो केरल में ये बखूबी पूरा हो सकता है। यहां समुद्र के शानदार किनारों पर केनोइंग कटमरैन सैलिंग, क्याकिंग, पैरा सैलिंंग, स्कूबा डायविंग, स्नोर्कलिंग और विंड सर्फिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। केरल में बैकवाटर के जबरदस्त प्वाइंट है। कोल्लम बैकवाटर, अल्लेप्पी बैकवाॅटर, कोझीकोड बैकवाॅटर, कोचीन बैकवाॅटर, कासरगोड बैकवा
कृत्रिम पैरों वाले दो मोटर साइक्लिस्ट विनोद रावत और अशोक मुन्ने दुनिया की सबसे ऊंची क्रॉस कंट्री इवेंट में भाग लेंगे। बाइक से हिमालय फतह करने का आगाज आठ अक्टूबर को लेह से शुरू होगा जो 14 अक्टूबर को कारगिल, जंसकार और लद्दाख सेक्टर से होते हुए गुजरेगी। रेस में 200 बाइकर्स हिस्सा लेंगे। विनोद रावत जब छह साल के थे तब ट्रक की चपेट में आ गए। इस हादसे में इनका बायां पैर कट गया। 27 साल की उम्र में इन्हें कृत्रिम पैर जयपुर फुट लगाया गया था। इसके बाद ये चलने फिरने के साथ दौडऩे की प्रेक्टिस करने लगे। फिर इन्होंने बाइक चलानी सीखी। तब इन्हें अहसास हुआ कि ये भी वे सब काम कर सकते हैं जो एक सामान्य व्यक्ति करता है। 2004 में पहली बार मुंबई मैराथन में हिस्सा लिया और वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। 2010 में लेह लद्दाख में बादल फटने की घटना के बाद इन्होंने स्थानीय लोगों की मदद के लिए मुंबई से लद्दाख तक बाइक से अभियान चलाकर 18 लाख रुपए का फंड जुटाया था। अशोक मुन्ने 32 साल के हैं और नागपुर के रहने वाले हैं। 2008 में हुए एक ट्रेन हादसे में इन्होंने अपना दाहिना पैर गवां दिया। पैर खोने के बाद अस