गर्मी के मौसम में लोग शहर छोड़कर पहाड़ों की तरह रुख करते हैं, अगर आप भी पहाड़ों पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको पहाड़ों पर ड्राइविंग भी करनी होगी और इसके लिए आपको कुछ खास तैयारियां करनी होंगी क्योंकि समतल की अपेक्षा पहाड़ों पर ड्राइविंग ज्यादा मुश्किल होती है। आइए जानते हैं कि पहाड़ों पर ड्राइविंग करते वक्त आपको क्या सावधानियां बरतनी होंगी। 1. सबसे पहले कार की पूरी तरह जांच करवा लीजिए। इंजन व टायर पूरी तरह दुरुस्त होने चाहिए। इतना ही नहीं खासकर ब्रेक की जांच किसी विशेषज्ञ से करवाना सही होगा। अगर घिसे हुए टायर के साथ पहाड़ों की तरफ रुख किया तो संस्पेंशन की समस्या से घिर जाएंगे। २ कोशिश कीजिए कि जब पहाड़ी इलाके में यात्रा करें तो रात के वक्त ड्राइविंग न करें। दिन में ड्राइविंग करें जो सुरिक्षत और चिंता रहित होगा।3. कभी भी गियर को न्यूट्रल में न रखें। ईधन को बचाने के लिए इंजन को बंद रखें वरना इससे खतरा भी हो सकता है।4. शहरों की तरह ताबड़तोड़ गाड़ी न चलाएं। पहाड़ी रास्तों पर पीछे से आने वाली गाडि़यों को पास दें और संभल कर चलें।5. पहाड़ों में न दिखने वाले मोड़ आते हैं। ऐसा होने
भारत के रमणीय स्थलों में शुमार होने के साथ साथ केरल को ‘गाॅडस् ओन कंट्री’ के खिताब से भी नवाजा गया है। दक्षिण भारत की सैर करने का प्लान है तो यह लोगों के सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। दुनिया भर से बड़ी तादाद में लोग केरल जैसे खूबसूरत राज्य को देखने आते हैं। शांत समुद्र तट, सुहावना मौसम, हरे भरे हिल स्टेशन, दूर तक फैला समुद्र और आकर्षक वन्य जीवन इस धरती के आकर्षणों में से हैं। नेशनल ज्योग्राफिक ट्रेवलर मैगजीन के अनुसार केरल ‘दुनिया के टाॅप दस पैराडाइज़’ और ‘50 प्लेसेस आॅफ लाइफटाइम’ में से एक है। केरल की खासियत ये है कि यहां समुद्र के साथ साथ आपको वन्यजीवन का भी भरपूर नजारा दिखेगा। इसलिए साल भर यहां घूमने के लिए लोग आते रहते हैं। अगर आपको भी बैकवाटर का शौक है तो केरल में ये बखूबी पूरा हो सकता है। यहां समुद्र के शानदार किनारों पर केनोइंग कटमरैन सैलिंग, क्याकिंग, पैरा सैलिंंग, स्कूबा डायविंग, स्नोर्कलिंग और विंड सर्फिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। केरल में बैकवाटर के जबरदस्त प्वाइंट है। कोल्लम बैकवाटर, अल्लेप्पी बैकवाॅटर, कोझीकोड बैकवाॅटर, कोचीन बैकवाॅटर, कासरगोड बैकवा
कृत्रिम पैरों वाले दो मोटर साइक्लिस्ट विनोद रावत और अशोक मुन्ने दुनिया की सबसे ऊंची क्रॉस कंट्री इवेंट में भाग लेंगे। बाइक से हिमालय फतह करने का आगाज आठ अक्टूबर को लेह से शुरू होगा जो 14 अक्टूबर को कारगिल, जंसकार और लद्दाख सेक्टर से होते हुए गुजरेगी। रेस में 200 बाइकर्स हिस्सा लेंगे। विनोद रावत जब छह साल के थे तब ट्रक की चपेट में आ गए। इस हादसे में इनका बायां पैर कट गया। 27 साल की उम्र में इन्हें कृत्रिम पैर जयपुर फुट लगाया गया था। इसके बाद ये चलने फिरने के साथ दौडऩे की प्रेक्टिस करने लगे। फिर इन्होंने बाइक चलानी सीखी। तब इन्हें अहसास हुआ कि ये भी वे सब काम कर सकते हैं जो एक सामान्य व्यक्ति करता है। 2004 में पहली बार मुंबई मैराथन में हिस्सा लिया और वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। 2010 में लेह लद्दाख में बादल फटने की घटना के बाद इन्होंने स्थानीय लोगों की मदद के लिए मुंबई से लद्दाख तक बाइक से अभियान चलाकर 18 लाख रुपए का फंड जुटाया था। अशोक मुन्ने 32 साल के हैं और नागपुर के रहने वाले हैं। 2008 में हुए एक ट्रेन हादसे में इन्होंने अपना दाहिना पैर गवां दिया। पैर खोने के बाद अस
डाइट डिटेक्टिव डॉट कॉम और हंटर कॉलेज, न्यूयॉर्क सिटी फूड पॉलिसी सेंटर, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क की ओर से हाल ही में जारी किए गए 2019 के एयरलाइन वॉटर स्टडी सर्वे के निष्कर्ष जारी किए गए हैं। सर्वे के अनुसार, कई एयरलाइनों में यात्रियों को पीने के लिए दिया जाने वाला पानी संभवत: दूषित होता है। इस अध्ययन में सात महीने का समय लगा जिसमें 11 प्रमुख और 12 क्षेत्रीय एयरलाइनों के जहाजों पर यात्रियों को दिए जाने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच की गई। पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता के पैमाने पर इन एयरलाइंस को क्रमानुसार स्थान दिया गया। इन कसौटियों पर परखाडाइट डिटेक्टिव डॉट कॉम और हंटर कॉलेज फूड पॉलिसी सेंटर के सर्वे 2019 के एयरलाइन वॉटर स्टडी के लिए सेंटर के निदेशक प्लेटकिन ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी से आंकड़ों का विश्लेषण किया था। उन्होंने 10 मानदंडों पर अध्ययन किया जिसमें एयरलाइंस की कोलीफोर्म पानी के नमूने की रिपोर्ट, कंपनी के बेड़ में शामिल जहाजों की संख्या और सरकार के निर्धारित विमान पेयजल नियम जैसी 10 कसौटियां शामिल थे। अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं का सुझाव है कि हवाई सफर के दौरान प्लेन में मिलन
नई दिल्ली। किसी भी जगह पर जाने के लिए हम इतने उत्साहित रहते है कि अपने रोजमर्रा में आने वाली चीजों को तो रख लेते है लेकिन जो चीजे सबसे जरूरी होती है उसे हम नजरअंदाज कर जाते है। और यही गलती यात्रा के दौरान हमारे लिए कई तरह की मुसीबते लेकर आ जाती है। यात्रा कितनी ही लंबी या छोटी हो, कुछ चीजें ऐसी होती है जो हमारी सबसे बड़ी जरूरत बन जाती हैं। इन चीजों के ना होने पर में आप परेशानी में फंस जाते है जिससे आपकी यात्रा का सारा आनंद धरा का धरा रह जाता है इसलिए बहुत जरूरी है कि यात्रा के उत्साह को बरकरार रखते हुए तैयारियां ऐसी करें जो आपके सफर को बेहद खूबसूरत और यादगार बना दे। आज हम आपको यात्रा के दौरान होने वाली कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं जिसे आपको हमेशा अपने साथ रखनी चाहिए।एक छोटा बैग जब भी आप किसी यात्रा पर जाए अपने पास एक छोटा सा साइड बैग जरूर रखें। बैग का साइज इतना छोटा होना चाहिए कि इसे किसी भी जगह पर रहकर आप इसके अंदर रखी चीजों का तुंरत इस्तेमाल कर सकें। इस बैग में आप अपनी जरूरत की छोटी- मोटी चीजें, दवाईयां, रूमाल आदि रख सकते हैं या आपने कहीं से कुछ खरीदा तो फौरान खुल्ले- पैसे आप
रूरल टूरिज्म का कंसेप्ट लोगों को पसंद आ रहा है। आने वाले वक्त में इसमें काफी संभावनाएं हैं। कोविड 19 के बाद लोगों की सोच में भी बदलाव आए हैं। वे अब अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं। पर्यटन एक्सपर्ट जीत सिंह आर्य बता रहे हैं पर्यटन को संजीवनी देने का मंत्र... कोविड 19 के चलते पर्यटन उद्योग के स्वरूप में काफी बदलाव अपेक्षित है। लोगों को काफी कुछ अहसास हुआ है। प्रकृति, अच्छे भोजन, परिवार व दोस्तों के साथ समय व्यतीत करने आदि की वजह से लोगों की अब समूह में या परिवार के साथ यात्राएं हो रही हैं। विदेश यात्रा का विकल्प बंद हैं तो लोग अब आंतरिक या अपने ही राज्य की जगहों पर घूम रहे हैं। एक बड़ा खंड इको टूरिज्म की तरफ आकर्षित हुआ है। वेलनेस टूरिज्म का क्रेज भी बढ़ा है। यह टूरिज्म काफी महंगा है और उसकी हर जगह उपलब्धता नहीं है। आने वाले समय में यह क्षेत्र काफी बढ़ेगा। वहीं एडवेंचर में ट्रैकिंग, कैम्पिंग, साइकिलिंग, स्टार ब्रेजिंग की वजह से काफी संभावनाएं बढ़ गई हैं। रूरल टूरिज्म का कंसेप्ट भी लोगों को पसंद आ रहा है। आने वाले वक्त में इसके बढऩे की संभावना इसलिए हैं क्योंकि कोविड 19 के बाद लोगों